भारत सरकार ने हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए $2.7 बिलियन (22,000 करोड़ रुपये) की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना की घोषणा की है। यह कदम देश में स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने, आयात पर निर्भरता कम करने और वैश्विक स्तर पर ‘मेड इन इंडिया’ ब्रांड को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
योजना का उद्देश्य और प्रभाव
इस प्रोत्साहन योजना का मुख्य उद्देश्य भारत को एक वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण हब बनाना है। इस योजना से अगले पांच वर्षों में $7 बिलियन (58,000 करोड़ रुपये) का निवेश आकर्षित होने की उम्मीद है, जिससे 91,000 से अधिक प्रत्यक्ष और लाखों अप्रत्यक्ष नौकरियों का सृजन होगा। यह योजना खासतौर पर स्मार्टफोन, चिपसेट, बैटरी, लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण पर केंद्रित है।

भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण का वर्तमान परिदृश्य
हाल के वर्षों में, भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण उद्योग तेजी से बढ़ा है। कई वैश्विक कंपनियां जैसे Apple, Samsung, और Foxconn भारत में अपने उत्पादन को बढ़ा रही हैं। इसके पीछे मुख्य कारण हैं:
- सस्ती और कुशल श्रम शक्ति
- बढ़ती घरेलू मांग
- सरकार द्वारा दी जाने वाली टैक्स रियायतें और सब्सिडी
- चीन पर निर्भरता कम करने की वैश्विक रणनीति
चीन से मुकाबला: भारत की रणनीति
चीन लंबे समय से इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन का वैश्विक केंद्र रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में विविधता लाने के प्रयासों के तहत कंपनियां भारत को एक वैकल्पिक हब के रूप में देख रही हैं। सरकार ने इस अवसर को भुनाने के लिए मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत और डिजिटल इंडिया जैसी योजनाओं को मजबूत किया है।

किन क्षेत्रों में मिलेगा लाभ?
- मोबाइल निर्माण: Apple और Samsung जैसी कंपनियां अपने उत्पादन का बड़ा हिस्सा भारत में ला रही हैं।
- सेमीकंडक्टर और चिप निर्माण: भारत सरकार सेमीकंडक्टर निर्माण में आत्मनिर्भर बनने के लिए TSMC और Intel जैसी कंपनियों को निवेश के लिए आमंत्रित कर रही है।
- बैटरी और EV टेक्नोलॉजी: इलेक्ट्रिक वाहनों में उपयोग होने वाली बैटरियों का निर्माण भारत में होने से इस क्षेत्र को भी बड़ा फायदा होगा।
भविष्य की संभावनाएं
- भारत 2025 तक $300 बिलियन से अधिक के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन का लक्ष्य रख रहा है।
- स्मार्टफोन एक्सपोर्ट में भारत ग्लोबल लीडर बनने की ओर अग्रसर है।
- सेमीकंडक्टर और चिप निर्माण में आत्मनिर्भरता से देश को टेक्नोलॉजी सेक्टर में नई ऊंचाइयां मिलेंगी।

भारत सरकार की यह पहल देश को इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे लाने के लिए एक बड़ा कदम है। अगर सरकार और उद्योग जगत मिलकर इन नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करें, तो भारत आने वाले वर्षों में ‘मेड इन इंडिया’ को एक वैश्विक पहचान दिलाने में सफल होगा।
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